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राजनीति

एकनाथ शिंदे के लिए मुसीबत बन रहे अजित पवार? पहली बैठक में ही हैरान करने वाले दावे

मुंबई-एनसीपी में अजित पवार की बगावत और फिर समर्थक विधायकों के साथ एनडीए में शामिल होने के बाद से ही एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना में खलबली की खबरें आ रही थीं। बताया जा रहा था कि विभागों के बंटवारे के समय भी शिवसेना  के विधायकों ने आपत्ति की थी। हालांकि बाद में इस मसले को सुलझा दिया गया। बुधवार को बांद्रा के एमईटी कॉलेज में अजित पवार ने समर्थकों की बैठक बुलाई और साबित कर दिया कि उनके पास शरद पवार से ज्यादा विधायकों का समर्थन है। उनके खेमे की बैठक में 32 विधायक शामिल हुए जबकि शरद पवार को 18 का ही समर्थन मिला। हालांकि इस बैठक में अजित पवार ने ऐसे दावे कर दिए जो कि एकनाथ शिंदे को भी टेंशन देने वाले हैं।

मुख्यमंत्री बनने का सपना
अजित पवार ने कहा कि क्या मैं राज्य का एक बड़ा नेता नहीं हूं? मैं पांच बार उपमुख्यमंत्री रह चुका हूं। लेकिन बात वहीं तक नहीं है। मैं राज्य का मुख्यमंत्री बनकर जनता के हित की योजनाएं लागू करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि 2004 में विधानसभा चुनाव के बाद उनकी गलती की वजह से मुख्यमंत्री पद कांग्रेस के पास चला गया था। एनसीपी के पास 71 सीटें थीं जबकि कांग्रेस के पास 69. अगर उस वक्त गलती ना की गई होती तो 2023 तक  एनसीपी का ही मुख्यमंत्री होता।

अजित पवार ने बताई भाजपा से करीबी
अजित ने बताया कि एनसीपी ने 2014, 2017 और 2019 में भी भाजपा से बात की थी। फिर जब उन्होंने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया है तो इसमें उनको दोष क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में देवेंद्र फडणवीस के साथ सिल्वर ओक में बैठक हुई थी। हमसे शपथ ग्रहण में शामिल होने को भी कहा गया था। 2017 में मुख्यमंत्री के आवास पर बैठक बुलाई गई जिसमें एनसीपी के नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि भाजपा एनसीपी और शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार थी लेकिन तब एनसीपी शिवसेना के साथ नहीं जाना चाहती थी। तब कहा जाता था कि शिव सेना सांप्रदायिक है लेकिन 2019 में उसी के साथ हाथ मिलाया गया।

उन्होंने कहा कि जब 2022 में शिंदे भाजपा के साथ गए तो 53 विधायकों ने कहा था कि एनसीपी को भी भाजपा के साथ चले जाना चाहिे। उस लेटर की कॉपी भी मेरे पास है। मुझे लोगों के सामने विलेन क्यों बनाया जा रहा है? मेरी क्या गलती है। पवार जी मेरे आज भी आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर उनको हमेशा नजरअंदाज किया जाता था।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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