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राजनीति

त्रिशंकु विधानसभा रहने पर तेलंगाना में किसका फायदा, क्या बदल रहा है समीकरण?

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तेलंगाना
तेलंगाना विधानसभा चुनावों इस बार आमतौर पर कांग्रेस और सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति के बीच ही मुकाबला बताया जाता रहा है। लेकिन, पिछले कुछ समय से बीजेपी ने जिस तरह के चुनावी दांव खेले हैं, उससे राज्य में चुनावी समीकरण तेजी से बदलने की संभावना पैदा हुई है। मडिगा आरक्षण पोराटा समिति (MRPS) की कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से इस बार तेलंगाना में बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। यही नहीं 30 नवंबर को होने वाले चुनाव में एमआरपीएस ने बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने का भी फैसला किया है।  

हैदराबाद की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुसूचित जाति के मडिगा समुदाय को दलितों के आरक्षण में उपवर्गीकरण का भरोसा दिया है। तीन दशक से भी पुरानी मडिगाओं की इस मांग पर भाजपा के सकारात्मक रवैए से राज्य में चुनावी समीकरण बदलने की पूर्ण संभावना है। 20 से 25 सीटों पर है मडिगा जाति का दबदबा मडिगाओं के बारे में कहा जाता है कि राज्य में अनुसूचित जाति वोट बैंक में इनकी हिस्सेदारी करीब 60% है और 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में करीब 20 से 25 सीटों पर चुनाव परिणाम को यह सीधे प्रभावित कर सकते हैं। 2018 के चुनावों में मडिगाओं ने कांग्रेस का समर्थन किया था। शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता अमित शाह ने भी एमआरपीएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिरकत की थी। उन्होंने अनुसूचित जाति वर्गीकरण के मामले को सुप्रीम कोर्ट से भी मंजूर कराने के लिए पूरी कोशिश का वादा किया है।

 भाजपा के पक्ष में हैं ये भी फैक्टर
इससे पहले बीजेपी राज्य में सत्ता में आने पर पिछड़े वर्ग (BC) के नेता को मुख्यमंत्री बनाने का वादा करके बहुत बड़ी चाल चल चुकी है। तेलंगाना में पिछड़े वर्ग की आबादी करीब 52% है। तेलंगाना चुनाव में बीजेपी की सबसे ज्यादा पकड़ ग्रेटर हैदराबाद के इलाकों में मानी जा सकती है, जिसका प्रमाण 2020 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में दिख चुका है, जब पार्टी ने सत्ताधारी बीआरएस के एकाधिकार को खत्म कर दिया था।

 भाजपा को त्रिशंकु विधानसभा से उम्मीद?
हालांकि, आधिकारिक तौर पर तेलंगाना में बीजेपी के नेता पार्टी के पूर्ण बहुमत का दावा जरूर करते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें भी यह जरूर लगता है कि इस तरह की उम्मीदें पालना फिलहाल काफी जल्दबाजी है। ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को लेकर आई यह खबर महत्वपूर्ण हो जाती है, जिसमें कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की थी। पार्टी नेता के इस अनुमान के पीछे यह सोच माना जा रहा है कि वह अपने हालिया तीन फैसलों ( पहला- राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना, दूसरा- पिछड़े वर्ग का सीएम ,तीसरी-एससी रिजर्वेशन में वर्गीकरण ) के दम पर बीआरएस और कांग्रेस को 50 सीटों से भी कम या उसके आसपास रोक सकती है।

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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