व्यापार जगत

इस साल घरेलू कंपनियों में निजी इक्विटी, उद्यम पूंजी निवेश घटकर 27.9 अरब डॉलर पर

इस साल घरेलू कंपनियों में निजी इक्विटी, उद्यम पूंजी निवेश घटकर 27.9 अरब डॉलर पर
साल 2023 में निजी घरेलू कंपनियों का उद्यम पूंजी निवेश घटकर 27.9 अरब डॉलर पर

मुंबई
 निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी कोषों से घरेलू कंपनियों में निवेश इस साल अबतक लगभग 40 प्रतिशत घटकर 27.9 अरब डॉलर रह गया है। वहीं इस दौरान घरेलू कंपनियों से निकासी सालाना आधार पर मामूली रूप से बढ़कर 19.34 अरब डॉलर हो गई है।

निजी पूंजी और ऋण प्रवाह पर नजर रखने वाली वेंचर इंटेलिजेंस और उद्योग निकाय आईवीसीए द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, 20 दिसंबर, 2023 तक निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी कोषों द्वारा घरेलू कंपनियों में निवेश 697 सौदों में 27.9 अरब डॉलर के निचले स्तर पर आ गया। 2022 में 1,364 सौदों में 47.62 अरब डॉलर का निवेश हुआ था।

आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष निजी इक्विटी खिलाड़ियों द्वारा देश से अधिक पैसा निकाला गया। इस दौरान 248 कंपनियों से कुल निकासी 19.34 अरब डॉलर पर पहुंच गई। वहीं 2022 में 233 कंपनियों से कुल 18.45 अरब डॉलर निकाले गए थे। हालांकि, उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि आने वाले वर्ष में वित्तपोषण की अधिक संभावनाएं दिख रही हैं।

आईवीसीए (इंडियन प्राइवेट इक्विटी एंड वेंचर कैपिटलिस्ट एसोसिएशन) के अध्यक्ष रजत टंडन ने कहा, ''इस वित्तपोषण में कमी एक अस्थायी समायोजन है, और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे हैं प्रवाह मजबूत होगा।''

इस साल के शीर्ष पांच सौदों में..टीपीजी कैपिटल और टेमासेक द्वारा अप्रैल में मणिपाल हॉस्पिटल्स में 2.4 अरब डॉलर का निवेश शामिल है। इसके बाद जून में एचडीएफसी क्रेडिला (एचडीएफसी बैंक के साथ विलय से पहले एचडीएफसी की शिक्षा ऋण इकाई) को बेरिंग और क्रिसकैपिटल ने 1.35 अरब डॉलर के सौदे में खरीदा। अगस्त में कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स में एक अरब डॉलर का निवेश किया। नवीकरणीय कंपनी अवाडा वेंचर्स को अप्रैल में ब्रुकफील्ड से एक अरब डॉलर का निवेश मिला। वहीं फर्टिलिटी क्लीनिक इंदिरा आईवीएफ क्लीनिक को जुलाई में बेरिंग एशिया से 73.2 करोड़ डॉलर का निवेश मिला।

 

डिश टीवी के शेयरधारकों ने चार निदेशकों की नियुक्ति के प्रस्ताव को खारिज किया

नई दिल्ली
 डिश टीवी के शेयरधारकों ने पिछले सप्ताह हुई कंपनी की असाधारण आम बैठक (ईजीएम) में एक हैरान करने वाले घटनाक्रम में चार स्वतंत्र निदेशकों की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया। इससे डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा प्रदाता के निदेशक मंडल में केवल एक निदेशक रह गया था।

इसके बाद कंपनी ने उसी दिन बोर्ड में दो नए लोगों की नियुक्ति की, क्योंकि निदेशकों की संख्या वैधानिक न्यूनतम संख्या तीन से कम हो गई थी। 22 दिसंबर को आयोजित ईजीएम में डिश टीवी के शेयरधारकों ने स्वतंत्र निदेशकों शंकर अग्रवाल, आंचल डेविड, राजेश साहनी और वीरेंद्र कुमार टागरा की नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति के चार प्रस्तावों को खारिज कर दिया। इन प्रस्तावों को कुल वोट का लगभग 28 प्रतिशत ही मिल सका और इसे खारिज कर दिया गया।

डिश टीवी द्वारा शेयर बाजार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, ''प्रस्ताव संख्या एक से चार ईजीएम में रिमोट ई-वोटिंग और ई-वोटिंग के तहत शेयरधारकों द्वारा अपेक्षित संख्या में वोट प्राप्त करने में विफल रहे हैं।'' उसी दिन घोषित मतदान परिणामों के बाद सभी चार स्वतंत्र निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया।

डिश टीवी ने कहा, ''हम आपको सूचित करना चाहेंगे कि कंपनी के शेयरधारकों द्वारा ईजीएम में डाले गए वोटों के आधार पर कंपनी के निदेशकों ने 22 दिसंबर, 2023 से बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है।'' इसमें तत्काल प्रभाव से सुनील खन्ना को स्वतंत्र निदेशक और रवि भूषण पुरी को कार्यकारी निदेशक नियुक्त करने की भी जानकारी दी गई। शेयरधारकों के मूड को भांपते हुए डिश टीवी बोर्ड ने 18 दिसंबर, 2023 को खन्ना और पुरी की नियुक्तियों को मंजूरी दे दी थी।

हालांकि, ये नियुक्तियां 'टेलीविजन चैनलों की अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए नीति दिशानिर्देशों' के तहत निर्धारित सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त होने की तारीख से या उस तारीख से प्रभावी होनी थीं, जिस दिन बोर्ड में निदेशकों की संख्या न्यूनतम से कम हो जाती है।

इस साल अगस्त में, प्रमुख शेयर बाजार बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने डिश टीवी पर बोर्ड बैठक की संरचना और कोरम की कमी को लेकर जुर्माना लगाया था।

डिश टीवी का सुभाष चंद्रा के नेतृत्व वाले प्रवर्तक परिवार और इसके पूर्व के सबसे बड़े शेयरधारक यस बैंक लिमिटेड के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है। चंद्रा के परिवार के नेतृत्व वाले प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह के पास कंपनी की मात्र 4.04 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उसका बोर्ड के पुनर्गठन को लेकर यस बैंक के साथ विवाद चल रहा है।

यस बैंक लि. कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक होती थी। उसने हाल में अपनी 24.2 प्रतिशत हिस्सेदारी जेसी फ्लॉवर्स असेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लि. को बेची है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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