RO.NO.12879/162
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

बिखरते विश्व को करुणा की डोर से जोड़ने की पहल : सत्यार्थी

भोपाल
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने युद्ध और हिंसा ग्रस्त विश्व को एक डोर में जोड़ने के लिए करुणा अभियान ‘सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन’ शुरू किया गया है, जिसमें दुनिया भर के शिक्षकों, सामाजिक-राजनीतिक नेताओं और प्रबुद्ध व्यक्तियों को जोड़ा जाएगा। करुणा अभियान की शुरुआत  यहां ‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव’ के उद्घाटन सत्र में की गयी।
सत्यार्थी ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं और नेताओं, व्यवसायों, शिक्षाविदों, युवाओं और समाज के विभिन्न वर्गों को साथ लेकर शुरू किये गए करुणा के इस नए अभियान का उद्देश्य, टूटन और बिखराव जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया को एकजुट करके एक न्यायपूर्ण, समावेशी और पक्षपात रहित विश्व का निर्माण करना है। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पटरी से उतर गए हैं। अकूत धन, संसाधन और ज्ञान के बावजूद, ये समस्याएँ क्यों बनी हुई हैं? संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएँ, विश्व की सरकारें और दुनिया के सबसे अमीर लोग, इसे एकजुट रखने में बुरी तरह असफल रहे हैं।'

इस अवसर पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोडी विलियम्स, मोनाको के पूर्व प्रधानमंत्री सर्ज टेल, पद्म विभूषण डॉ. आर ए मशेलकर, भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग, रॉबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स की प्रेसिडेंट केरी कैनेडी, ब्राज़ील की सुपीरियर लेबर कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लेलियो बेंटेस कोर्रा और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी सहित कई क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि दुनिया कई बड़ी वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है। इस समय करुणा के वैश्वीकरण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अपने भीतर छुपी करुणा की उस चिंगारी को पहचानें और इस अभियान में शामिल होने की जरुरत है। टूटन और बिखराव से त्रस्त हमारी इस दुनिया को करुणा ही एकजुट कर सकती है।
सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया आज जितनी समृद्ध और एक दूसरे से जितनी जुड़ी हुई है, उतनी पहले कभी नहीं रही, लेकिन इसके साथ ही बिखराव, युद्ध, गैर-बराबरी, नफरत, जलवायु संकट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के संभावित खतरों जैसी चुनौतियां भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके सबसे बड़े शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं।
उन्होंने कहा कि करुणामय संवाद और करुणापूर्ण कार्यों से वैश्विक शासन विधि में सुधार होना है। यह एक ऐसे लोकतांत्रिक, समावेशी और गतिशील संस्थानों के निर्माण में मदद करेगा जिसके शीर्ष नेतृत्व का दृष्टिकोण करुणामय हो। हमने एशिया और अफ्रीका में जमीनी स्तर पर बाल-मित्र समुदायों का सफलतापूर्वक निर्माण किया है।

 

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.12879/162

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button