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मुंबई की एक उपभोक्ता फोरम ने हाल ही में ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट पर भारी भरकम जुर्माना लगाया

मुंबई
मुंबई की एक उपभोक्ता फोरम ने हाल ही में ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट पर भारी भारी भरकम जुर्माना लगाया है और ऑर्डर कैंसल करने पर लताड़ लगाई है। मध्य मुंबई में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल ही में एक ग्राहक के आईफोन ऑर्डर को एकतरफा कैंसल करने और पैसे रिफंड करने के बावजूद फ्लिटकार्ट को ना सिर्फ दोषी ठहराया बल्कि  मनमाने व्यवहार के लिए उस पर ₹13,000 का जुर्माना भी लगा दिया।

अक्षय विजय लोके बनाम ईकार्ट लॉजिस्टिक्स और अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए आयोग की अध्यक्ष वंदना एस मिश्रा और सदस्य श्रद्धा जी बहिरत और कमलेश आर भंडारकर ने पाया कि फोन की कीमत वापस (रिफंड) करने के बावजूद फ्लिपकार्ट अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता है। फोरम ने कहा कि आप ग्राहक को सिर्फ रिफंड देकर अपने दायित्वों से बच नहीं सकते। आखिरकार ग्राहक ने किसी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए समय बर्बाद किया, पैसे खर्च किए और अपनी ऊर्जा भी खपत की और अंत में उसे कुछ नहीं मिला।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक,फोरम ने अपने फैसले में लिखा, "हालांकि शिकायतकर्ता को फोन की कीमत वापस कर दी गई है,बावजूद इसके फ्लिपकार्ट को उसकी देनदारी से मुक्त नहीं करता है। एक ग्राहक जिसने ऑनलाइन उत्पाद खरीदने के लिए समय, ऊर्जा और पैसा खर्च किया था, उसे रिफंड में दिलचस्पी नहीं है, बल्कि खरीदे गए उत्पाद की डिलीवरी में उसकी दिलचस्पी है।" फोरम ने कहा कि इस मुकाम पर फिल्पकार्ट अपनी सेवा देने में नाकाम रहा है जो उसकी चूक है। इसलिए उसे जुर्माना भरना ही पड़ेगा।

दरअसल, अक्षय विजय लोके नाम के शख्स ने 10 जुलाई 2022 को फ्लिपकार्ट से ऑनलाइन एक आईफोन छूट के साथ 39,628 रुपये में खरीदा था। फ्लिपकार्ट के मुताबिक 12 जुलाई तक आईफोन ग्राहक को डिलीवर हो जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके छह दिन बाद 18 जुलाई को लोके को फ्लिपकार्ट की तरफ से एक टेक्स्ट मैसेज आता है कि उनका ऑर्डर कैंसल कर दिया गया है। जब लोके ने कस्टमर केयर से संपर्क किया तो बताया गया कि कई बार सामान की डिलीवरी करने की कोशिश की गई लेकिन कोई लेने वाला नहीं था।

शिकायतकर्ता के अनुसार, ईकार्ट डिलीवरी एक्जीक्यूटिव 13 जुलाई को सिर्फ एक बार आया था, उस वक्त शिकायतकर्ता के पिता घर पर ही थे। शिकायतकर्ता के पिता ने डिलीवरी एक्जीक्यूटिव को शाम में आने के लिए कहा था, जिस पर वह सहमत हो गया था लेकिन डिलीवरी एक्जीक्यूटिव नहीं आया और डिलीवरी अगले दिन के लिए रिशिड्यूल कर दिया। शिकायतकर्ता को सामान प्राप्त करने के लिए उस दिन काम से छुट्टी लेनी पड़ी और ऑर्डर लेने के लिए घर पर रहना पड़ा।बावजूद इसके, डिलीवरी एक्जीक्यूटिव नहीं आया और अंततः ऑर्डर रद्द कर दिया गया।

जब मामला उपभोक्ता फोरम में लाया गया तब भी ईकार्ट की तरफ से कोई हाजिर नहीं हुआ। अंतत: फोरम ने एकपक्षीय सुनवाई करते हुए फैसला सुना दिया। इस दौरान फ्लिपकार्ट के वकील ने कहा कि फ्लिपकार्ट केवल एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है और उसके प्लेटफॉर्म पर बेचे जाने वाले सभी उत्पाद स्वतंत्र तृतीय पक्ष विक्रेताओं द्वारा बेचे जाते हैं। उन्होंने दलील दी कि शिकायतकर्ता ने गलती से फ्लिपकार्ट को विक्रेता समझ लिया था।

उन्होंने आगे बताया कि विक्रेता के अनुसार, कई असफल डिलीवरी प्रयासों के कारण ऑर्डर रद्द कर दिया गया था और शिकायतकर्ता को 18 जुलाई, 2022 को पूर्ण रिफंड प्राप्त हुआ था। यह कहते हुए कि विवाद शिकायतकर्ता और विक्रेता के बीच था, फ्लिपकार्ट ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ कार्रवाई का कोई कारण नहीं था। लेकिन कोर्ट ने शिकायतकर्ता की तरफ से पेश सभी स्क्रीनशॉट्स को देखते हुए कहा कि फ्लिकार्ट सिर्फ एक मध्यस्थ नहीं बल्कि सभी कम्यूनिकेशन उसी के द्वारा हो रहे थे। इसलिए वह इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। कोर्ट ने कहा कि शिकायत के बाद भी फ्लिपकार्ट ने बिक्रीकर्ता और ईकार्ट पर कोई दबाव भी नहीं बनाया कि डिलीवरी रिशेड्यूल हो सके।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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