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भोपाल को स्वच्छतम शहर बनाना है – मुख्यमंत्री चौहान

सभी भोपालवासी स्वच्छता सर्वेक्षण में अपना फीडबेक दें
मुख्यमंत्री चौहान ने क्यूआर कोड स्केन कर स्वच्छता सर्वेक्षण में दिया फीडबेक

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भोपाल, राज्यों की राजधानी में स्वच्छतम राजधानी है। अब पुन: स्वच्छता सर्वेक्षण होने वाला है, जिसमें सिटीजन फीडबेक मांगा जा रहा है। मैंने अपना फीडबेक दे दिया है। कृपया आप भी अपना फीडबेक दीजिए, जिससे हमारा भोपाल स्वच्छता सर्वेक्षण में देश का स्वच्छतम शहर, बन सके। मुख्यमंत्री चौहान ने श्यामला हिल्स स्थित उद्यान में पौध-रोपण के बाद महापौर श्रीमती मालती राय को स्वच्छता सर्वेक्षण में क्यूआर कोड पर दिए अपने फीडबेक के बाद भोपालवासियों के लिए सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जारी संदेश में यह बात कही।

स्वच्छ सर्वेक्षण में फीडबैक के लिए पूरा निगम अमला मैदान में कूद पड़ा है। महापौर मालती राय, कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी समेत सभी जनप्रतिनिधि और अफसर लोगों को फीडबैक देने की बात कह रहे हैं। स्वयंसेवी-धार्मिक संस्थाओं के साथ स्कूल-कॉलेजों को भी फीडबैक से जोड़ा जा रहा है।

पिछली बार छठवां स्थान मिला था
बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 के नतीजों में मध्यप्रदेश का डंका बजा था। राजस्थान-महाराष्ट्र को पछाड़ कर मध्यप्रदेश देश का सबसे स्वच्छ राज्य बन गया था। 100 से अधिक शहरों वाले राज्य में मध्यप्रदेश नंबर-1 पर आया था। वहीं, इंदौर ने सफाई का सिक्सर लगाया थी। भोपाल की रैंक भी सुधरी थी। भोपाल को छठवां स्थान मिला था। वहीं, फाइव स्टार रेटिंग भी मिली थी। सर्वेक्षण-23 के लिए फिर से प्रयास शुरू हो गए हैं। निगम लोगों से फीडबैक मांग रहा है। ताकि, सर्वेक्षण में ज्यादा अंक हो सके।

 

भोपाल पूरी तरह कब आजाद हुआ था
1 जून 1949 को भोपाल का भारत में विलीनीकरण हुआ था. आप ये सोच रहे होंगे की जब देश 1947 में आजाद हुआ तो भोपाल को आजादी 1949 में कैसे मिली. दरअसल, भारत के आजाद होने के समय भोपाल में नवाब हमीदुल्ला खां का शासन था और भोपाल रियासत की जिम्मेदारी वही संभालते थे. 

आजादी के बाद हमीदुल्ला खां इसे स्वतंत्र रियासत के लिए दलील देने लगे और उस समय हैदराबाद के निजाम उन्हें भोपाल को पाकिस्तान में विलय के लिए प्रेरित कर रहे थे. लेकिन यह भौगोलिक दृष्टि से असंभव था. इसके बाद इसे भारत में विलय करने के लिए आंदोलन चलाया गया. नवाबी शासक ने इसे दबाने के लिए भरसक प्रयास किए लेकिन वो इसे दबा पाने में असमर्थ रहे. शासक ने आंदोलन कारियों पर गोलियां चलवाई जिसमें कई युवाओं की जान गई लेकिन इसके बाद 1 जून 1949 को भोपाल पूरी तरह स्वतंत्र हुआ.

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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