श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई में बने माइग्रेन की पहचान करने वाले डिवाइस को पेटेंट प्रमाण पत्र जारी
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है और इससे व्यक्ति काफी परेशान रहता है
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भिलाई-श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई के लाइफ़ साइंस विभाग के प्राध्यापकों ने माइग्रेन की पहचान तुरंत बताने वाले डिवाइस को बनाया है।भारत सरकार के पेटेंट विभाग ने इसे स्वीकार कर पेटेंट प्रमाण पत्र जारी किया है। विभाग की प्राध्यापक डॉ.परख सहगल ने जानकारी देते हुए बताया कि माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है और इससे व्यक्ति काफी परेशान रहता है,जिसके कारण उसे तनाव,चिड़चिड़ापन और गुस्सा आता रहता है।उसकी कार्य क्षमता प्रभावित होती है। सबसे प्रमुख बात यह कि सामान्य सिरदर्द एवम माइग्रेन में पहचान करना मुश्किल होता है। जिसके कारण सही उपचार नही हो पाता है।जिन्हें माइग्रेन ना हो कर साधारण सिर दर्द है उन्हें भी माइग्रेन की दवा दे दी जाती है।और व्यक्ति विभिन्न प्रकार के साइड इफेक्ट से प्रभावित हो जाता है।
डॉक्टर परख कहती हैं कि उन्होंने अपने आस पास ऐसे कई लोगों को इस तरह के सिरदर्द और माइग्रेन पीड़ित को देखा है तभी यह विचार आया कि इसकी पहचान करने के लिए वे एक सस्ता और कारगर उपाय जरूर बनायेंगी।इसके लिए उन्होंने माइग्रेन डिटेक्शन डिवाइस पर कार्य किया।अपने सहयोगी प्राध्यापकों डाक्टर चेतना रहांगडाले एवम माधुरी पटेल के साथ मिल कर माइग्रेन डिटेक्टिव बैंड बनाया।
यह हेयर बैंड की तरह होता है जिसमे एक डिवाइस लगाया गया है जो माइग्रेन होने पर तुरंत पहचान करता है।इसमें ग्रीन लाइट फ़्लैश होती है।जिससे माइग्रेन की पहचान हो जाती है।यह बैंड बिल्कुल हल्का और आसानी से लगाया जा सकता है।इसकी लागत भी कम है।माइग्रेन डिटेक्टिव बैंड का आकार सुंदर और आकर्षक है।इसकी डिजाइन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने पेटेंट प्रदान किया है।
लाइफ साइंस कि विभागाध्यक्ष डॉ निहारिका देवांगन ने विभाग की शोध गतिविधियों की सराहना करते हुए विभाग के प्राध्यापकों की इस उपलब्धि पर बधाई दी है।विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आई.पी.मिश्रा,कुलपति डॉ.ए.के.झा,कुलसचिव पी.के.मिश्रा एवम डायरेक्टर डॉ सुशील चंद्र तिवारी ने इसे शोध के क्षेत्र में प्राध्यापकों की बड़ी उपलब्धि बताते हुए बधाई दी है।