शिक्षिका को मिला न्याय,स्कूल को देना होगा 2 माह का वेतन और अनुभव प्रमाणपत्र
छत्तीसगढ़ महिला आयोग ने दिलाया न्याय
भिलाई-9 वर्ष से एक निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षिका को स्कूल प्रबंधन ने बिना किसी पूर्व सुचना के अचानक नौकरी से निकाल दिया, इससे महिला शिक्षिका को मानसिक आघात हुआ। असंगठित क्षेत्र में बिना किसी पूर्व सूचना के अपमानित कर काम से निकाले जाने के इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ महिला आयोग ने सख्त ऐतराज जताया और पीड़ित महिला को इंसाफ दिलाया है। महिला आयोग की पहल पर अब स्कूल प्रबंधन प्रभावित शिक्षिका को 9 साल का अनुभव प्रमाण पत्र और दो माह का वेतन देने राजी हुआ है।
मामला इस्पात नगरी भिलाई के प्रतिष्ठित टावरी परिवार का है। इस परिवार की बहू सुरुचि टावरी राजधानी रायपुर के टाटीबंध स्थित किड्जी स्कूल में शिक्षिका थी। शिकायत में शिक्षिका ने बताया कि 3 मार्च 2024 को निजी स्कूल के वार्षिक उत्सव में उन्होंने हिस्सा लिया था। जहां प्राचार्य ने सबके सामने उनके कार्य की भरपूर प्रशंसा की थी। फिर इसके 3 दिन बाद अचानक 7 मार्च 2024 को प्राचार्य ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया।
अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के इस तरह अपमानित कर नौकरी से निकाले जाने से शिक्षिका श्रीमती टावरी बेहद परेशान हो गईं। उन्होंने इस बाबत छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में शिकायत की। इसके उपरांत नोटिस जारी कर आयोग ने स्कूल संचालिका सोनल बैद सहित 4 लोगों को तलब किया था। जहां सुनवाई के दौरान प्राचार्य ने कहा कि उनके स्कूल में 2 से 5 वर्ष तक के बच्चे पढ़ते हैं। कुछ बच्चों के पालकों की शिकायत पर शिक्षिका को नौकरी से निकाला गया है। इस पर प्रभावित शिक्षिका का कहना था कि उसे कभी भी शिकायत के बारे में जानकारी नहीं दी गई ना ही कोई नोटिस दिया गया। अचानक नौकरी से निकाल देने से उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। आयोग अध्यक्ष डॉक्टर किरणमयी नायक एवं सदस्य बालू बघेल ने दोनों पक्षों को विस्तार से सुना। महिला ने अपने 9 साल के कार्यकाल का अनुभव प्रमाण पत्र व नोटिस पीरियड का 2 माह का वेतन मांगा जिसे स्कूल प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया।