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अयोध्या में चाइल्ड वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन ने एक बस से 93 बच्चों को रेस्क्यू किया

अयोध्या

बिहार के अररिया से सहारनपुर ले जाए जा रहे 93 ऐसे बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने अयोध्या में रेस्क्यू किया है, जिनकी उम्र 5 साल से 9 साल के बीच है. इन बच्चों को अयोध्या के देवकली चौराहे के पास एक बस से चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के लोगों ने रेस्क्यू किया.

बस में बच्चों को जानवरों की तरह भरा गया था. यह बच्चे गरीब परिवारों के हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जिनके माता-पिता नहीं हैं. चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्यों का कहना है कि इन बच्चों में से कई के आधार कार्ड फर्जी हो सकते हैं. यह मामला बड़ी साजिश का हिस्सा भी हो सकता है.

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य सुनीता यादव ने कहा कि अभी जो बच्चे मिले हैं, उनकी काउंसलिंग हो रही है. बच्चों को यह नहीं पता कि वह आपस में भाई-भाई हैं या मोहल्ले के हैं. ऐसा भी हो रहा है कि वह एड्रेस गलत बता रहे हैं. आधार कार्ड जब चेक किया तो वह अपने जिले का नाम तक नहीं बता पा रहे थे. कोई बच्चा 15 साल का लग भी नहीं रहा है. वह मदरसा जा रहे थे. बच्चों को कुछ नहीं पता कि वह कहां जा रहे थे. उनको कहां ले जाया जा रहा था.

बच्चों का कहना है कि हाफिज जी ने बोला था तो मम्मी ने भेज दिया. कुछ बच्चों को हाफिज जी उनके घर से लेकर गए थे. घर से उठाया और बस में बैठाया और लेकर निकल आए और कुछ बच्चों को तो उनके घर पर बता दिया गया कि भेज दीजिए तो उन्होंने भेज दिया. बच्चों से पूछा कि आपको पता है कि आपको कहां जाना है तो उनका कहना था कि कुछ नहीं पता, हाफिज जी ने फोन किया था, मम्मी ने भेज दिया.

बच्चा कुछ और एड्रेस बता रहा है और आधार कार्ड में कुछ और एड्रेस लिखा हुआ है. बच्चों को मदरसे का नाम तक नहीं पता. हो सकता है कि आधार कार्ड भी फर्जी बनाया गया हो. काउंसलिंग के दौरान बच्चे अपना एड्रेस नहीं बता पा रहे हैं. जो शख्स बच्चों को लेकर जा रहे थे, वह कह रहे हैं कि बच्चे हमारे साथ हैं. जब बच्चे से पूछा गया तो बच्चे कहने लगे कि हम इनको नहीं जानते हैं.

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य ने बताया कि बच्चों को लेकर जा रहे शख्स ने पूछताछ में कहा कि ये भाई-भाई हैं, लेकिन किसी को नहीं पता कि कौन किसका भाई है. बच्चों को कुछ भी नहीं पता. अब हम कैसे भरोसा करें. बच्चा जो बोलेगा, वही हम मानेंगे. यह एक बड़ा घोटाला भी हो सकता है. क्या पता पहले से बच्चों को समझाया गया हो कि अगर दिक्कत हो कहीं तो यह बताना. लेकिन सब बच्चों का दिमाग एक जैसा नहीं होता. कभी-कभी उनके दिमाग से चीज निकल जाती है और दिमाग में जो रहता है, वही बोलते हैं. ऐसे में बच्चा तो सच ही बोलेगा.

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष ने क्या बताया?

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि उन्हें सूचना मिली थी कि अवैध रूप से बच्चों को बिहार के अररिया से सहारनपुर लाया जा रहा है. इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए हम लोगों ने बच्चों को कस्टडी में ले लिया है.

कानूनी कार्रवाई की जा रही है. जिन लोगों को पकड़ा गया है, उनके पास इन बच्चों के अभिभावकों द्वारा किसी तरह का सुपुर्दगी पत्र नहीं मिला है. इसमें बहुत सारे ऐसे भी बच्चे शामिल हैं, जिनके मां-बाप नहीं हैं. बच्चों को फिलहाल शेल्टर होम में रखा जाएगा. उनके परिवार के लोगों से संपर्क किया जा रहा है. बाकी कर्रवाई की जा रही है.

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी अयोध्या के चेयरपर्सन सर्वेश अवस्थी ने कहा कि देखिए आज सुबह बाल आयोग की सदस्य ने सूचना दी थी कि बस से अवैध तरीके से बच्चों को ले जाया जा रहा है. इसके बाद बच्चों को रेस्क्यू किया गया. उनकी काउंसलिंग जारी है. बच्चों का मेडिकल हो रहा है. उसके बाद इन्हें शेल्टर होम भेजा जाएगा.

बच्चों के माता-पिता आएंगे तो उनको सुपुर्द किया जाएगा. फिलहाल बच्चों के साथ न तो माता-पिता हैं, न उनका सुपुर्दगी पत्र ही है. ऐसे बच्चे भी हैं, जो अनाथ हैं, जिनके माता-पिता नहीं हैं. यह बिहार के अररिया से सहारनपुर की तरफ जा रहे थे.

इस मामले में बातचीत के बाद यह बात सामने आई है कि इन बच्चों को बिहार से उत्तर प्रदेश के देवबंद के दो अलग-अलग मदरसों में ले जाया जा रहा था. इसकी जानकारी राज्य बाल आयोग को लग गई और उसके बाद अयोध्या के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने सूचना के आधार पर इन बच्चों को रेस्क्यू कर लिया.

बस में 93 बच्चों के अलावा दो दर्जन से ज्यादा यात्री भी सवार थे

हैरानी की बात यह है कि एक बस में इन 93 बच्चों को बैठाया गया था और साथ ही साथ दो दर्जन से अधिक पैसेंजर भी बैठ गए थे. जानवरों से भी बदतर स्थिति में बच्चों को बिहार से यूपी के देवबंद स्थित मदरसे तक ले जाया जा रहा था. बस में सवार यात्री अनवार ने बताया कि हम लोग अररिया में सवार हुए और मुजफ्फरनगर जा रहे थे. हमने गाड़ी वाले से पूछा कि इसमें तो मदरसे के बच्चे हैं तो उसने कहा तुम्हें बच्चों से क्या मतलब, तुम पैसेंजर हो बैठो. एक अन्य यात्री राहुल सिंह ने कहा कि बच्चों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. मैं अररिया से लुधियाना जा रहा हूं. वह लोग अलग हैं. हम अलग हैं.

बच्चों के बारे में मदरसा संचालक ने क्या बताया?

बिहार से यूपी के देवबंद के जिन दो मदरसे में इन बच्चों को ले जाया जा रहा था. उनमें एक मदरसे का रजिस्ट्रेशन भी नहीं है. एक मदरसे के प्रबंधक से हमने बात की. मदरसा संचालक रिजवान ने कहा कि यह बच्चे पहले भी हमारे यहां पढ़ते थे और इस बार भी पढ़ रहे हैं. उनके घरवालों ने कहा था कि आप आ जाएं, एक आदमी यहां से चला जाएगा छोड़ने. जैसे हमारे बच्चे पहले पढ़ रहे थे, वैसे ही आगे पढ़ेंगे.

रिजवान ने कहा कि हमारे यहां नर्सरी क्लास से कक्षा 5 तक पढ़ाई होती है. हिंदी, इंग्लिश, उर्दू और दीन की तालीम दी जाती है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ये बच्चे एक दूसरे को पहचान क्यों नहीं रहे हैं? बच्चे अपने ही स्कूल के मदरसा संचालक को कैसे नहीं पहचान रहे हैं? जिन बच्चों को आपस में भाई बताया जा रहा है, वह एक दूसरे को पहचानने तक से इनकार क्यों कर रहे हैं?

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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