RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

लोक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ‘SocialEpidemiology’ का प्रयोग बहुत जरूरी है: डॉ प्रशांत केशरवानी

भोपाल
अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल के तत्वाधान में  शंकरदयाल आयुर्वेद कॉलेज,भोपालके परिसर में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यलय, भोपाल में पब्लिक हेल्थ विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक श्री  प्रशांत केसरवानी जी ने ‘SocialEpidemiology’ विषयपर व्याख्यान दिया।
 एस व्याख्यानश्रृंखला के प्रभारी राजीव शर्मा ने बताया की  आज का सेमीनार अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय,भोपाल द्वारा शुरू की गयी व्याख्यानश्रृंखलाके अन्तेर्गत था । आगामी महीनों में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल ऐसे अन्य विषयों और मुद्दों पर मध्य प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालयों पर व्याख्यान आयोजित करेगा।
शंकरदयाल आयुर्वेद कॉलेज,के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुए इस व्याख्यान में आयुर्वेद, नर्सिंग और एडुकेशन के 200 से आधिक छात्र-छात्राओं ने भागीदारी की। श्री प्रशांत केशरवानीने उन्हें भविष्य के हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के तौर पर स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं को सामाजिक-आर्थिक, राजनैतिक और तकनीति के तौर पर समझने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि –“स्वास्थ्य के सामाजिक पहलुओं को नज़रअंदाज़ करके इसकी मूल समस्याओं को नहीं समझा जा सकता।
लोगो को स्वस्थ्य रखना एक सतत प्रक्रिया है और इस सतत प्रक्रिया के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण कारक है वो ये जानना कि समाज के किस तबके को स्वास्थ्य को लेकर किस तरह की जरूरतें है। क्या ऐसी कोई बीमारी है जो किसी समुदाय या किसी क्षेत्र विशेष में ज्यादा बढ़ गयी है या समाज का कोई ऐसा वर्ग है,  जहां पर मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। साथ ही साथ इस वर्ग विशेष के पास किस तरह के स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है। क्या ये सुविधाएं काफी है, या फिर इनमें कुछ सुधार की गुंजाइश है। ऐसे क्या सामाजिक और दूसरे कारक हैं, जो किसी समुदाय को ज्यादा बीमार कर रहे है। इस तरह के कई प्रश्नों के उत्तर SocialEpidemiology बेहतर तरीके से देती है। SocialEpidemiology ना सिर्फ व्यक्ति, स्थान और स्थल (Person,Place,andTime) के बीच के संबंधों को बेहतर तरीके से देखती है, अपितु वो इन सम्बन्धों की व्याख्या सामाजिक कारकों के साथ मिल जुल के देती है। SocialEpidemiology प्राथमिकता तय करने में भी काफी मददगार साबित होती है, खासकर कब, कहाँ, किसे, किस तरह कि स्वास्थ्य सेवाओं किअधिक  जरूरत है।  
छात्र-छात्राओं के साथ हुए सवाल-जबाव के दौरान श्री प्रशांत केशरवानी ने समाज में व्याप्त तमाम मिथ और भ्रम को वैज्ञानिक नज़रिये से देखने और समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया। इस व्याख्यान में करीब 200 छात्र -छात्राओं के अलावा कॉलेज के प्राध्यापकों ने भी शिरकत की।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button