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उत्तराखंड पंचायत का आदेश: शादियों में महिलाएं केवल 3 सोने के आभूषण पहन सकती हैं

देहरादून 
सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं. सोने पर महंगाई की मार के बीच उत्तराखंड की एक पंचायत ने इसे लेकर नया फरमान जारी किया है. अनुसूचित जनजाति क्षेत्र जौनसार इलाके की एक पंचायत की ओर से जारी किया गया यह फरमान महिलाओं के आभूषण पहनने को लेकर है. इस पंचायत ने शादी और अन्य समारोह में महिलाओं के तीन से अधिक आभूषण पहनने पर रोक लगा दी है.

महिलाओं के आभूषण पहनने से संबंधित यह नियम कंदाड़ और इद्रोली गांव में लागू भी हो गया है. महिलाओं को जो तीन आभूषण पहनने की छूट दी गई है, उनमें झुमके, नाक की नथ और मंगलसूत्र शामिल हैं. दो गांवों की संयुक्त पंचायत ने इस नियम की अवहेलना करने पर संबंधित व्यक्ति से 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूलने का भी प्रावधान किया है. इस नए सामाजिक नियम को लेकर कंदाड़ के निवासी अर्जुन सिंह ने सोने की बढ़ती कीमतों को आधार बताया है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अर्जुन सिंह का कहना है कि कई महिलाएं सोने के आभूषण खरीदने का दबाव बनाती हैं. सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, इस वजह से परिवार में झगड़े की स्थिति बन जा रही है. इसे देखते हुए ही यह कदम उठाया गया है. उन्होंने महिलाओं की शराब और फिजूलखर्ची पर रोक की डिमांड पर कहा कि इस पर भी विचार किया जाएगा और चरणबद्ध तरीके से रोक लगाई जाएगी. महिलाओं ने भी पंचायत के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन कुछ असहमतियां भी जताई हैं.

जौनसार निवासी अमला चौहान ने कहा कि समानता लाना ही अगर इसका उद्देश्य है, तो केवल महिलाओं के आभूषण पहनने पर ही क्यों. उन्होंने पुरुषों के ब्रांडेड शराब पीने पर भी रोक लगाने की वकालत की. अमला ने कहा कि सोना एक निवेश है, जो मुश्किल समय में काम आता है. शराब और अन्य फिजूलखर्ची का क्या?

एक अन्य महिला निशा रावत ने शादियों में महंगे उपहार के ट्रेंड पर भी चिंता जताई और कहा कि ब्रांडेड शराब, चिकन… ये सब दिखावे की चीजें हैं. उन्होंने कहा कि शादियों में पहले घर की बनी शराब परोसी जाती थी, लेकिन ब्रांडेड शराब और महंगे उपहार का चलन बढ़ गया है. खर्च कम करने की ही बात है, तो शराब और मांस पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए.

इन सबको लेकर एक स्थानीय भीम सिंह ने कहा कि आभूषण को लेकर नियम का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन शराब और फिजूलखर्ची को लेकर महिलाओं की मांग भी जायज है. पंचायत को इस पर भी विचार करना चाहिए. गौरतलब है कि जौनसार का इलाका अनुसूचित जनजाति की बहुलता वाला क्षेत्र है. इस इलाके में सामाजिक स्तर पर पंचायत का बहुत महत्व है. रहन-सहन से लेकर सामाजिक मसलों तक, इलाके के लोग पंचायत के निर्णय को पूरी गंभीरता से लेते हैं और मानते हैं.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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