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सिसोदिया को अगले तीन महीनों में भी नहीं मिल सकेगी जमानत

नईदिल्ली

दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी और दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. जमानत अर्जी पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जांच एजेंसी 338 करोड़ के लेनदेन की बात अस्थायी रूप से साबित कर पाई है.

सिसोदिया की दलील

सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आठ महीने पहले 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में अदालत में कहा था कि सीधे तौर पर सिसोदिया से जुड़ा कोई साक्ष्य है ही नहीं और सभी साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं इसलिए सिसोदिया को सलाखों के पीछे रखने की कोई जरूरत नहीं है.

तो इस साल नहीं मिल सकेगी जमानत?

सिसोदिया के वकील ने दलील दी थी कि उनके भागने का भी कोई खतरा नहीं है. वहीं ED का आरोप यह है कि नई शराब नीति ही धोखा देने के लिए बनाई गई. जबकि नई नीति समितियों द्वारा विचार-विमर्श के बाद पारदर्शी तरीके से बनाई गई और तत्कालीन एलजी ने इसकी मंजूरी दी थी. पीठ ने कहा कि अगर 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा नहीं होता या अगले तीन महीने में ट्रायल की रफ्तार धीमी रहने पर सिसोदिया जमानत की याचिका फिर से दाखिल कर सकते हैं.

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी ने हमारे ज्यादातर सवालों के उचित जवाब नहीं दिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रुपए और धन के लेनदेन की कड़ियां साफ हैं. कोर्ट ने कहा कि तीन महीनों में अगर ट्रायल की रफ्तार धीमी रही तो सिसोदिया फिर जमानत की अर्जी लगा सकते हैं. इसका सीधा मतलब तो यही कि अगले तीन महीने जमानत के रास्ते बन्द रहेंगे.

हाईकोर्ट ने की थी ये टिप्पणी

आपको बता दें कि शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में सीबीआई ने 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. उसके बाद ईडी ने अरेस्ट किया था. मई में दिल्ली हाई कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, 'मनीष का इस मामले में व्यवहार भी सही नहीं रहा है और वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. इनके पास 18 विभाग रहे हैं. पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इसलिए उनको अभी जमानत नहीं दी जा सकती है.'  

 

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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