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शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर आने वाला है फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने दिया 10 जनवरी तक का समय

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी तक का समय दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एकनाथ शिंदे के खेमे के विधायकों और खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला महाराष्ट्र स्पीकर को लेना होगा।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष से 31 दिसंबर तक अयोग्यता याचिकाओं के संबंध में अंतिम फैसला लेने को कहा था, लेकिन नार्वेकर ने लंबित याचिकाओं की समीक्षा के लिए और समय मांगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस बात पर अड़ी रही कि स्पीकर को 10 जनवरी तक फैसला सुनाना होगा। सीजेआई ने कहा, “स्पीकर ने संकेत दिया है कि कार्यवाही 20 दिसंबर को बंद कर दी जाएगी और स्पीकर ने उचित समय विस्तार की मांग की थी। पहले निर्धारित समय सीमा को ध्यान में रखते हुए, हम स्पीकर को निर्णय देने के लिए 10 जनवरी, 2023 तक का समय विस्तार देते हैं।"

"महाराष्ट्र में लोकतंत्र नष्ट हो गया है"
शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में लोकतंत्र नष्ट हो गया है क्योंकि स्पीकर ने डेढ़ साल का समय लिया है और अयोग्यता का निर्णय नहीं लिया। आदित्य ठाकरे ने कहा, "महाराष्ट्र में लोकतंत्र नष्ट हो गया है। हम चुनाव आयोग को पूर्ण समझौता आयोग कहते हैं, वे पुणे और चंद्रपुर सीटों पर लोकसभा चुनाव नहीं करा रहे हैं…नगर निगम में भी लोगों की कोई आवाज नहीं है। अब तक स्पीकर ने डेढ़ साल का समय लिया है। इस अवधि के दौरान उनसे निर्णय लेने की अपेक्षा की गई थी। वह सिर्फ अध्यक्ष नहीं हैं, हम उन्हें एक न्यायाधिकरण के रूप में देखते हैं। लेकिन क्या होगा यदि वह (निर्णय नहीं कर सकते)?"

अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 जनवरी तक का समय दिए जाने पर महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता और विधायक पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "यह अच्छा है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें समय दिया है। मुझे लगता है कि वे 10 जनवरी को फैसला देंगे।'' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके खेमे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाएं शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट द्वारा दायर की गई थीं। पीठ ने 18 सितंबर को स्पीकर को एकनाथ शिंदे और उनके प्रति वफादारी रखने वाले शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समय सारिणी बताने का निर्देश दिया था। इन विधायकों ने जून 2022 में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया था। जिससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में विभाजन हो गया।

एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के दर्जनों अन्य विधायकों के साथ, उद्धव ठाकरे सरकार से विद्रोह कर दिया और महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। इसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और शिवसेना दो गुटों में विभाजित हो गई – एक का नेतृत्व ठाकरे और दूसरे का नेतृत्व शिंदे कर रहे हैं।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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