RO.NO.12879/162
जिलेवार ख़बरें

जमीन के नीचे से मिला 300 साल पुराना ‘खजाना’ बौद्धधर्म का स्तूप

रायपुर
 राजधानी के नजदीक रीवा गांव में पुरातत्व विभाग के द्वारा की जा रही खोदाई में कुषाण कालीन (पहली से तीसरी शताब्दी तक की अवधि) के 300 से अधिक तांबों के सिक्कों के साथ जमीन के 20 फीट नीचे बौद्धधर्म के स्तूप मिले हैं। इसके अलावा खोदाई में शिव मघ, विजय मघ, यम मघ जैसे सामान भी मिल रहे हैं। इस पर एक ओर हाथी बना है और दूसरी ओर ब्राह्मणी लिखा है।

रीवा में वर्ष 2018 में उत्खनन की शुरुआत में ही कुषाण काल, कलचुरि और पांडुवंश के पुराने धरोहर मिलने लगे थे। अब नए राजवंश मघवंशी होने के प्रमाण मिल रहे हैं। अर्थात यह उत्खनन स्थल लगभग छठवीं सदी के प्रशासनिक और व्यापारिक स्थल के रूप में विकसित है।

इसके साथ मघवंशी काल के तांबे के सैकड़ों सिक्के खोदाई के दौरान मिले हैं। पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि अभी खोदाई में जो चीजें निकलकर सामने आ रही है, उनसे प्रतीत होता है कि रीवा एक व्यापारिक केंद्र हुआ करता था। उसी आधार पर अब यहां खोदाई कर अन्य चीजें निकाली जा रही हैं।

कुआं समेत मिट्टी के बर्तन भी मिले

पुरातत्व विभाग के उप संचालक डा. व्रिश्वोत्तम साहू ने बताया कि खोदाई में हड़प्पा संस्कृति के समकालीन मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं। संभावना है कि यह एक हजार ईसा पूर्व के हैं। साथ ही खोदाई में एक कुआं भी मिला है, जिसकी गोलाई तीन मीटर की है। उन्होंने बताया कि जो सिक्के मिले हैं, उन पर शोध किया जा रहा है। यह छत्तीसगढ़ में एक नए राजवंश के शामिल होने का संकेत देता है, क्योंकि मघवंश का उल्लेख वायु पुराण में मिलता है।

उत्खनन विभाग के संचालक प्रताप पारख ने कहा, रीवा में कुल 55 एकड़ में खोदाई करने का है। अभी मात्र पांच एकड़ में हुआ है। यह खोदाई 10 साल तक चल सकती है। खोदाई में कई चीजें मिल रही हैं। उसको देखते हुए रीवागढ़ छत्तीसगढ़ का पहला प्राचीन शहर हो सकता है।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.12879/162

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button