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चिराग पासवान ने गालीबाजी पर तेजस्वी को लिखी लंबी चिट्ठी, इधर तेजस्वी बोले- वे एजेंडा चलाकर जीतना चाह रहे हैं?

पटना.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की चुनावी सभा में मंच के सामने से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की मां और बहन को गाली देने का मामला बढ़ता ही जा रहा है। चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव को दो पन्ने के लंबा पत्र लिखा। चिराग पासवान की पार्टी ने इस पत्र को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया है। इधर, तेजस्वी यादव से पटना एयरपोर्ट पर इस मामले में सवाल पूछा गया तो उन्होंने अजीब प्रतिक्रिया दी। तेजस्वी यादव ने पहले कहा कि और कोई सवाल है तो पूछिए।

फिर जब दोबारा उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एजेंडा चला रहे हैं? आइए जानते हैं चिराग पासवान ने पत्र में ऐसा क्या लिख दिया जो कि आज चर्चा में है…'अमर उजाला' आपको उस पत्र को जस के तस पढ़ा रहा है। चिराग ने लिखा कि प्रिय तेजस्वी यादव मैं ऐसी बातों को सार्वजनिक करने का पक्षधर कभी नहीं रहा, लेकिन कुछ बातें जनता के बीच भी आनी जरुरी है। मैंने सदैव आपको अपना छोटा भाई माना और आपके और अपने परिवार में कभी फर्क नहीं समझा। आराबड़ी देवी जी एवंलालू प्रसाद यादव जी को हमेशा माता-पिता तुल्य माना। आपके संज्ञान में एक बात लाना चाहता हूं कि विगत कुछ दिनों पहले जब जमुई में आप एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे तभी कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा मुझे और मेरे परिवार को लेकर आपके सामने ही अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। इतना ही नहीं गाली-गलौज जैसी भाषा का प्रयोग भी किया गया जो बेहद निंदनीय है। मुझे दुःख तब हुआ जब आपकी आंखों के सामने घटित इस घटना पर आप खामोश रहे। दुःख मुझे तब और ज्यादा हुआ जब आपकी पार्टी की प्रत्याशी जो खुद एक महिला होते हुए इस घटना को नजरंदाज करती रही। मंच के ठीक सामने पहली पंक्ति में खड़े लोग चिल्ला-चिल्लाकर मुझे और मेरी मां को गाली दे रहे थे और आप खामोशी से खड़े थे। उस वक्त मंच पर इतना भी शोर नहीं था कि आपके कान में वो बातें नहीं आई हो। मंच पर आप खड़े थे और आपके ठीक नीचे कुछ फासले पर यह अपशब्द कहे जा रहे थे। मेरे ही नहीं किसी और के भी परिवार के बारे में ऐसी भाषा का प्रयोग या ऐसी भाषा का प्रोत्साहन अनुचित है। इस मामले में नेताओं की खामोशी असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है। जनप्रतिनिधि होने के नाते हम सबको मर्यादा का परिचय देना चाहिए ताकि जो लोग हमें अपना आदर्श मानते है वो भविष्य में मर्यादित आचरण करें।

90 के दशक की जंगलराज की यादें ताजा हो गईं
चिराग पासवान ने आगे लिखा कि मैं मानता हूं कि राजनीतिक दलों के विचार अलग हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं लेकिन वैमनस्य होना उचित नहीं है। किसी की मां के बारे में ऐसी अभद्र भाषा मेरे लिए कल्पना से परे है। आपकी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई इस हरकत से 90 के दशक की जंगलराज की यादें ताजा हो गईं। उस दौर में मां-बेटियों का घरों से निकलना भी दूभर था। महिलाओं को अपमानित और प्रताड़ित किया जाता था। आज इस घटना के बाद एक पुत्र होने के नाते मेरे लिए अपनी मां के बारे में ऐसा शब्द सुनना कितना पीड़ादायक है, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मैं चाहता हूं कि आप अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को कड़ा संदेश दें ताकि आइंदा मेरे साथ ही नहीं बल्कि बिहार में रह रही किसी भी मां-बहन के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जा सके।

इस बात का दुःख मुझे और मेरे परिवार को आज हुआ
चिराग ने आगे लिखा कि मैंने अपने पिता से रिश्तों की पहचान करना सीखा है। राजनीतिक रिश्तों के साथ पारिवारिक रिश्ते भी जरूरी होते है। अंत में, मैं आपसे सिर्फ इतना ही कहूंगा कि मैं अपनी माँ और बहनों को जैसा प्यार और सम्मान देता आया हूं वैसा प्यार और सम्मान मैंने मीसा दीदी व अन्य बहनों एवं आदरणीय राबड़ी देवी जी को भी दिया है लेकिन शायद वो प्यार और सम्मान सिर्फ मेरे तरफ से था। इस बात का दुःख मुझे और मेरे परिवार को आज हुआ है। मैं आशा करता हूं कि मेरी माताजी का अपमान करने वालों पर आप तत्काल कार्रवाई करेंगे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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