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गरबा में एंट्री से पहले गौमूत्र छिड़काव और गंगाजल आचमन: भोपाल में गैर-हिंदुओं के लिए नई शर्तें

भोपाल

मध्य प्रदेश की राजधानी  भोपाल के गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं की एंट्री रोकने के लिए एक नया फॉर्मूला अपनाया है. यहां प्रवेश द्वार पर पहले तिलक लगाकर 'जय श्री राम' का जयकारा लगवाया जा रहा है। इसके बाद आम के पत्तों से गंगाजल का आचमन कराया जाता है और तांबे के लोटे से गोमूत्र का छिड़काव किया जाता है।

भोपाल के अवधपुरी इलाके में श्री कृष्ण सेवा समिति गरबा मंडल के आयोजकों का मानना है कि गैर-हिंदू गोमूत्र और गंगाजल का आचमन नहीं करेंगे, जिससे उनकी एंट्री रुक जाएगी. आधार कार्ड, तिलक और कलावा की जांच के बाद ही यह प्रक्रिया पूरी की जा रही है. गरबा पंडाल में बिना गंगाजल और गोमूत्र के प्रवेश की अनुमति नहीं है. 

गरबा देखने आए लोगों ने गंगाजल और गोमूत्र को पवित्र बताते हुए इसकी सराहना की. हिंदू संगठनों की इस नई गाइडलाइन ने गरबा आयोजन को धार्मिक रंग दिया है. आयोजकों का कहना है कि यह फॉर्मूला धार्मिक शुद्धता बनाए रखने के लिए अपनाया गया है. 

इस मामले में भोपाल सांसद आलोक शर्मा का कहना है कि कुछ लोग हिंदू प्रतीकों जैसे कलावा और तिलक का इस्तेमाल कर गरबा में प्रवेश लेकर हिंदू महिलाओं को लुभाने की कोशिश कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं करेगी और नवरात्रि केवल हिंदुओं और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए है.

बता दें कि 22 सितंबर से शुरू हुई नवरात्रि में देवी दुर्गा और उनकी विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. गरबा गुजरात का जीवंत नृत्य रूप है, जो इस दौरान बड़े पैमाने पर आयोजित होता है.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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