RO.NO.12822/173
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

कैग रिपोर्ट में खुलासा, शासन के निर्देशों की अफसरों ने उड़ाई धज्जियां

RO.NO.12784/141

भोपाल

मध्यप्रदेश में बन रही स्मार्ट सिटी कंपनी के कामों को मंजूरी देने में नगरीय विकास अफसरों ने चहेते ठेकेदारों पर इतनी मेहरबानी दिखाई कि कहीं एकल निविदा में टेंडर न केवल स्वीकृत किया बल्कि लागत से 24.88 प्रतिशत अधिक दरों पर ठेका दे दिया। कई जगह ऐसे ठेके दार को काम दे दिया जो काम बीच में ही छोड़कर चला गया। ऐसे में खर्च बेकार रहा और ठेकेदार को दंडित भी नहीं किया गया।

 महानियंत्रक लेखा परीक्षक के अंकेक्षण में इन अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। लोक निर्माण विभाग के निर्देश है कि एकल बोली प्राप्त होने पर उसे स्वीकार नहीं किया जाए, उसे खोला ही नहीं आए और नई बोली आमंत्रित की जाए। दूसरे दौर के टेंडर के बाद भी एकल बोली प्राप्त हो तो सक्षम प्राधिकारी बोली खोलने और उसे स्वीकार करने का निर्णय ले सकता है। लेकिन स्मार्ट सिटी कारपोरेशन इंदौर ने 48 करोड़ 51 लाख रुपए की लागत से बनने वाली एकीकृत स्मार्ट रोड नेटवर्क पांचवे चरण के विकास के लिए एक एनआईटी जारी की। इसमें केवल एक ठेकेदार ने बोली लगाई। राज्य शासन के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पहली ही बोली में उसे स्वीकार कर लिया गया और ठेका 60 करोड़ 58 लाख रुपए में दिया गया जो कि दरों से 24.88 प्रतिशत अधिक था। इसके लिए सक्षम अधिकारी कोई औचित्य भी नहीं दे पाए कि पहली बोली में ठेका क्यों स्वीकार किया गया।

काम छोड़ने वाले ठेकेदार को नहीं दिया दंड
स्मार्ट सिटी कारपोरेशन इंदौर ने चालीस करोड़ की लागत से एक इंटेलीजेंट परिवहन प्रणाली तैयार करने की परिकल्पना की थी। इस प्रणाली को तीस स्थानों पर स्थापित किया जाना था। इसमें स्मार्ट वेरिएबल मैसेज, रिफ्लेक्टिव साइन बोर्ड, चेतावनी बोर्ड लगाए जाने थे। निविदा के आधार पर एल1 बोलीदाता को ठेका दिया गया और 40 करोड़ 56 लाख रुपए का ठेका दिया गया। ठेकेदार को इस काम के लिए 23 करोड़ 38 लाख रुपए का भुगतान किया गया। इसके बाद ठेकेदार काम पूरा नहीं कर पाया और उसका ठेका समाप्त करना पड़ा।

जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने पिछले तीन वर्षोें के वार्षिक वित्तीय टर्नओवर और पिछले सात वर्षों के दौरान समान कार्यों को सफलतापूर्वक करने का अनुभव संबंधी कोई दस्तावेज नहीं दिया था। ऐसे ठेकेदार को काम दिया गया जो काम को पूरा करने में सक्षम ही नहीं था। ठेकेदार काम पूरा नहीं कर पाया और समझौते की शर्त के तहत ठेका बीच में समाप्त करना पड़ा। निविदा प्रक्रिया का पालन करने में एमसीसी इंदौर की विफलता के कारण 23 करोड़ 38 लाख रुपए का खर्च बेकार हो गया। एमसीसी ने बैंक गारंटी 2 करोड़ 3 लाख रुपए का नगदीकरण कर काम पूरा करने में विफलता के लिए ठेकेदार को दंडित भी नहीं किया।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

RO.NO.12784/141

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
× How can I help you?