RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

बिहार से पढ़ाई की आड़ में बच्चों की देशभर में तस्करी, राष्ट्रीय बाल आयोग के बड़े खुलासे पर अलर्ट

मुजफ्फरपुर.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने धार्मिक शिक्षा के नाम पर बिहार से कम उम्र के बच्चों की उत्तर प्रदेश में तस्करी का अंदेशा जताया है। अयोध्या में 26 अप्रैल को बरामद किए गए पूर्णिया और अररिया के 95 बच्चों के मामले का हवाला देते हुए आयोग ने सभी राज्यो को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। बरामद बच्चों को सहारनपुर के एक गैर निबंधित मदरसे ले जाया जा रहा था। आयोग ने इस संबंध में देश भर में अलर्ट जारी करते हुए धार्मिक शिक्षण संस्थानों की निगरानी के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) भी दी है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने धार्मिक शिक्षा के नाम पर बच्चों की इस तरह आवाजाही रोकने की जिम्मेदारी जिलों की बाल संरक्षण इकाई, मानव तस्करी विरोधी इकाई और स्पेशाल जुवेनाइल पुलिस को सौंपी है। एसओपी में कहा है कि पांच से 12 साल की उम्र के बच्चे पढ़ाई के नाम पर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं, तो इसका मतलब है कि राज्यों में शिक्षा का अधिकार कानून का अनुपालन नहीं हो रहा है। ऐसे बच्चों को उनके घर के पास के स्कूलों में ही दाखिला दिलाया जाए। साथ ही, आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को धार्मिक शिक्षा के नाम पर चंदा वसूली और बच्चों की तस्करी प्रभावी तरीके से रोकने का निर्देश दिया है। आयोग ने तीनों एजेंसियों को संयुक्त रूप से निरीक्षण कर 15 दिन में रिपोर्ट देने को भी कहा है।
बाल कल्याण समिति, अयोध्या के अध्यक्ष सर्वेश अवस्थी ने बताया कि 26 अप्रैल को अयोध्या में बच्चों को बरामद किया गया। बस में दो मौलवी थे, जो इन्हें सहारनपुर के मदरसे में पढ़ाई के लिए ले जाने की बात कर रहे थे। मौलवियों के पास न तो मदरसे का कोई अधिकार पत्र था और न ही बच्चों के अभिभावकों का सहमति पत्र। बच्चों ने टीम को बताया कि मदरसे में उनसे ईंट ढुलवाई जाती है और शौचालय साफ कराया जाता है। भोजन के नाम पर एक-दो रोटी दी जाती है। इन बच्चों को लखनऊ बालगृह भेजा गया, जहां उनकी काउंसिलिंग की गई। इसके बाद उन्हें माता-पिता को सौंप दिया गया।
महलगांव अररिया के एक बच्चे के पिता मो. तनवीर ने बताया कि गांव में आए मौलवी ने कहा था कि बच्चों को धार्मिक तालीम दिलाओ। वह कई बच्चों को ले गए। पूर्णिया के रांटा गांव निवासी मो. इशाक ने बताया कि बच्चे को पढ़ाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। सिर्फ खाना का खर्चा देने की बात कह मौलवी उनके बच्चे को ले गए। बाद में पता चला कि वहां बच्चों से जबरन काम कराया जाता है।

बाल संरक्षण इकाई अररिया के सहायक निदेशक शंभू रजक ने बताया कि इस मामले पर अयोध्या से बरामद बच्चों के मामले में आयोग से सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट (एसआईआर) देने का निर्देश मिला था। रिपोर्ट अब अंतिम चरण में हैं। इन बच्चों के आगे की पढ़ाई आदि सुविधाओं की व्यवस्था इस रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button