राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

भोजशाला सर्वे के लिए और समय देने की मांग, हाईकोर्ट करेगा ASI की याचिका पर सुनवाई

इंदौर.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की इंदौर पीठ भोजशाला परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए 8 और हफ्ते की मांग करने वाली एएसआई की याचिका पर सोमवार को सुनवाई कर सकती है। हिंदू एएसआई से संरक्षित 11वीं शताब्दी के स्मारक भोजशाला (Bhojshala) को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम कमल मौला मस्जिद बताते हैं।

बता दें कि 7 अप्रैल 2003 को एएसआई ने एक व्यवस्था दी थी। इसके तहत हिंदू मंगलवार को परिसर में पूजा करते हैं जबकि मुस्लिम शुक्रवार को नमाज अदा करते हैं। 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस' नाम के संगठन ने इस व्यवस्था को हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस साल 11 मार्च को एएसआई को छह हफ्ते के भीतर विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने 11 मार्च के इस आदेश को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद 22 मार्च से एएसआई की ओर से वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू हुआ था। इस बीच, मुस्लिम पक्ष के एक प्रतिनिधि ने दावा किया कि परिसर में खुदाई की गई थी। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि एएसआई की ओर से वैज्ञानिक अध्ययन किए जाने के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। हर हाल में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस स्मारक की मूल संरचना प्रभावित या परिवर्तित न हो। फिर यह विवाद सुप्रीम कोर्ट के सामने गया था। सर्वोच्च अदालत ने 1 अप्रैल को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि परिसर में किसी भी तरह की भौतिक खुदाई नहीं की जानी चाहिए ताकि परिसर का चरित्र बदल जाए। दूसरी ओर, मामले में हिंदू पक्ष के प्रतिनिधि ने एएसआई की याचिका का समर्थन किया कि विवादित स्मारक की सत्यता स्थापित की जाएगी। इस मामले में और सबूत सामने आ सकते हैं।

भोजशाला मामले में हिंदू पक्ष के नेता गोपाल शर्मा ने बताया कि भोजशाला परिसर में एएसआई सर्वेक्षण के लिए फाउंडेशन बनाया गया है। यदि एएसआई को सर्वेक्षण के लिए अतिरिक्त समय मिलता है, तो पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) एवं अन्य उन्नत उपकरणों की मदद ली जाएगी। शर्मा धार स्थित 'श्री महाराजा भोज सेवा संस्थान समिति' के सचिव हैं। उन्होंने कहा कि भोजशाला के 200 मीटर के दायरे में टूटी हुई मूर्तियां एवं अन्य अवशेष आज भी मौजूद हैं। ये इस धरोहर पर हमले की कहानी बयां करते हैं।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button